Wednesday, December 10, 2014

Jain Religion India

खुश किस्मत हूँ जैन धरम में जनम मिला।
खुश किस्मत हूँ महावीर का मनन मिला॥
मनन मिला है चोबीसों भगवानो का।
सार मिला है आगम-वेद-पुराणों का॥
जैन धरम के आदर्शो पर ध्यान दो।
महावीर के संदेशो को मान दो॥
महावीर वो वीर थे जिसने सिद्ध शिला का वरन किया।
मानव को मानवता सौंपी दानवता का हरण किया॥
गर्भ में जब माँ त्रिशला के महावीर प्रभु जी आए थे।
स्वर्ग में बैठे इन्द्रों के भी सिंघासन कम्पाये थे॥
जन्म लिया तो जन्मे ऐसे न दोबारा जन्म मिले।
जन्म-जन्म के कर्म कटें भव जीवों को जिन-धर्म मिले॥
जैन धरम है जात नही है सुन लेना।
नस्लों को सौगात नही है सुन लेना॥
जैन धरम का त्याग से गहरा नाता है।
केवल जात का जैनी सुन लो जैन नही बन पता है॥
जैन धर्म नही मिल सकता बाजारों में।
नही मिलेगा आतंकी हथियारों में॥
नही मिलेगा प्यालों में मधुशाला में।
धर्म मिलेगा त्यागी चंदनबाला में॥
कर्मो के ऊँचे शिखरों को तोड़ दिया।
मानव से मानवताई को जोड़ दिया॥
बीच भंवर में फंसी नाव को पार किया।
सब जीवों को जीने का अधिकार दिया॥
शरमाते हैं जो संतो के नाम पर।
इतरायेंगे महिमा उनकी जानकर॥
जैन संत कोई नाम नही पाखंडो का।
ठर्रा-बीडी पीने वाले पंडो का॥
जैन संत की महिमा बड़ी निराली है।
त्याग की बगिया सींचे ऐसा माली है॥
साधू बनना खेल नही है बच्चो का।
तेल निकल जाता है अच्छे-अच्छों का॥
नव योनि मिली है कुछ कल्याण करो।
बंद पिंजरे के आतम का उत्थान करो॥
शोर-शराबा करने से कुछ ना होगा।
और दिखावा करने से कुछ ना होगा॥
करना है तो महावीर को याद करो।
पल-पल मत जीवन का यूँ बरबाद करो॥

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